7/16/2010

खुद अपनी पहचान से अनजान हूँ मैं.....


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खुद अपनी पहचान से अनजान हूँ मैं

अपने बारे में तुझे कुछ बताऊँ कैसे .....??



बहुत सिमटी हुई छोटी सी दुनिया है मेरी

इस दिल की गहराईओं में आपको ले जाऊं कैसे ......??



आसमान की ऊँचाइयों तक मेरे ख्वाब बिखरे हैं ,

अपने अरमानों ही हद मैं दिखाऊँ कैसे ....???



मुस्कराना मेरी अब आदत है, आंसुओं को छुपा कर ,

पर हर गम को अपनी हंसी से बहलाऊँ कैसे..... ?



होकर मेरी सरहदों में शामिल, आप ही जान लो मुझे,

किसी और तरह आपको अपने दिल से मिलवाऊँ कैसे....

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