मत पूछो ये मुझसे की कब याद आते हो,
जब-जब साँसे चलती है बहुत याद
आते हो |
नींद में पलकें होती हैं जब भी भरी,
बनके ख्वाब
बार-बार नज़र आते हो|
महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी,
भीड़
की तन्हाइयों में हरबार नज़र आते हो|
जब भी सोचा की फासला रखूँ मैं
तुमसे,
ज़िन्दगी बनके साँसों में समां जाते हो|
खुद को तूफ़ान
बनाने की कोशिश तो की,
बनके साहिल अपनी आगोश में समा जाते हो|
चाह
ना था मैंने इस पहेली में उलझना,
हर उलझन का जबाव बनके उभर आते हो|
सूरज
की रौशनी, चंदा की चाँदनी,
आसमान को देखता हूँ मैं जब-जब,
तुम्हारी
कसम बहुत-बहुत याद आते हो|
अब ना पूछो मुझसे की कब-कब याद आते हो........