2/03/2010

मुम्बई में.....डी कंपनी.......से टी कंपनी

मुम्बई के पीछले कुछ साल पहले के इतिहास पर नज़र डाले....... जब लोग इस शहर को बॉम्बे के नाम से पहचानते थे..... तब इस बॉम्बे में भाई लोगों का बोलबाला हुआ करता था... भाई बोले तो बॉम्बे में फैला गुन्डों का राज जिसके दहशत से शहर के लोग की रुह तक कांप जाती थी। इन भाईयों का दहशत इस कदर हुआ करता कि सरकार से लेकर पुलिस प्रशासन तक के लोग सहम जाते थे। इन्हीं भाइयों के गिरोह में दहशत का सबसे बड़ा नाम था डी कंपनी का जिसका सरगना था दाउद इब्राहीम....... जिसके दहशत की खबर आज भी आती रहती है..... बस फर्क सिर्फ इतना है कि वो इस शहर से ही नहीं देश से बाहर है..... जिसके तलाश में आज भी भारत की सरकार जीतोड़ में लगी है। लेकिन आज तक इस डी कंपनी का दहशत पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाया है..... लेकिन इस कंपनी का खौप लोगों में थोड़ा कम तो जरुर हो गया है। अब मुम्बई में एक और कंपनी का दहशत फैल गया है...... इस कंपनी का दहशत सिर्फ मुम्बई में ही नहीं पूरे देश में फैला हुआ है........ जी हां हम बात कर रहे है टी कंपनी...... बोले तो ठाकरे कंपनी। आजकल मुम्बई ठाकरे परिवार के दादागिरी से पूरी तरह से परेशान हो चुका है..... डी कंपनी तो छिप कर लोगों में दहशत फैलाती थी..... लेकिन ये टी कंपनी तो सरेयाम अपनी गुन्डागर्दी पर का खौप लोगों में फैला रही है....... इस कंपनी पर नकेल डालने में राज्य सरकार से लेकर केन्द्र सरकार तक ने अपने हाथ खड़े कर दिये है और-तो और पुलिस प्रशासन इन गुन्डा गर्दो को सुरक्षा मुहैया करा रही है। यदि ठाकरे परिवार का ये रवैया ठीक है तो कश्मीरी अलगाववादीयों और अफगान तालिबानी में फर्क क्या है....... टी कंपनी की ये दादागिरी कोई नयी बात नहीं वो काफी समय से उत्तर भारतीयों पर हमले शुरु कर दिये थे...... लोगों पर अपने तालिबानी फ़रमान थोपने की कोशिश कर रहा है...... मराठी मानुष के नाम पर ये लोगों महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे है। आखिर जब हमारे देश का संविधान में किसी राज्य, भाषा, जाति, संप्रदाय और मज़हब के भेदभाव को नहीं मानता तो आखिर ये टी कंपनी लोगों में किस आधार पर ये करने की कोशिश कर रही है...... क्या ये टी कंपनी कानून, संविधान और व्यवस्था से बड़ा है....... यदि इसका जबाब हां है तो कुछ गलत नहीं हो रहा मुम्बई में...... लेकिन इसका जबाब नहीं है तो आखिर ये सब कैसे हो रहा है। इस टी कंपनी ने आजकल मुम्बई में जिस तरह से देश हित को लेकर दहशत का माहैल पैदा किया है ..... और लोगों में ये जताने की कोशिश कर रहा है कि उनसे बढ़कर देश प्रेमी कोई नहीं है.......तो ये सरासर गलत है..... जिस तरह से विदेशी क्रिकेटरों के मामले को भुनाने की कोशिश की जा रही है...... जिससे लगता है कि देश की इज्जत और सुरक्षा का जिम्मा इन्हीं के पास है..... लेकिन ऐसा कर के ये टी कंपनी देश की साख को भी बाट लगा रहे है..... लोगों में ये संदेश दे रहे है कि भारत में लोगों को कहीं रहने और बोलने की आजादी नहीं है...... यदि लोगों को कुछ भी बोलना है तो टी कंपनी से कॉपीराइट लेना पड़ेगा। यदि टी कंपनी के इस दादागिरी को रोका नहीं गया तो ये देश की अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा.....

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