7/19/2010

हिचकियों से एक बात.....

Blogvani.com










हिचकियों से एक बात का पता चलता है,

कि कोई हमे याद तो करता है,

बात न करे तो क्या हुआ,

कोई आज भी हम पर कुछ लम्हें बरबाद तो करता है

ज़िंदगी हमेशा पाने के लिए नहीं होती,


हर बात समझाने के लिए नहीं होती,

याद तो अक्सर आती है आप की,

लेकिन हर याद जताने के लिए नहीं होती

महफिल न सही तन्हाई तो मिलती है,


मिलन न सही जुदाई तो मिलती है,

कौन कहता है मोहब्बत में कुछ नहीं मिलता,

वफ़ा न सही बेवफाई तो मिलती है


कितनी जल्दी ये मुलाक़ात गुज़र जाती है


प्यास भुजती नहीं बरसात गुज़र जाती है

अपनी यादों से कह दो कि यहाँ न आया करे

नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है

उमर की राह मे रस्ते बदल जाते हैं,


वक्त की आंधी में इन्सान बदल जाते हैं,

सोचते हैं तुम्हें इतना याद न करें,

लेकिन आंखें बंद करते ही इरादे बदल जाते हैं

कभी कभी दिल उदास होता है


हल्का हल्का सा आँखों को एहसास होता है

छलकती है मेरी भी आँखों से नमी

जब तुम्हारे दूर होने का एहसास होता है.....

7/17/2010

देखा है समंदर नम होते हुए...

Blogvani.com








लोग किनारे की रेत पे

अपने दर्द छोड़ देते हैं

वो समेटता रहता है

अपनी लहरेँ फैला फैला कर

हमने कई बार देखा है

समंदर को नम होते हुए।

जब भी कोई उदास होकर

आ जाता है उसके करीब
वो अपनी लहरेँ खोल देता है

और खींच कर भीँच लेता है

अपने विशाल आगोश में


ताकि जज्ब कर सके आदमी
कभी जब मैं रोना चाहता था

पर आँसू पास नहीं होते थे

तो उसने आँखों को आँसू दिए थे

और घंटों तक   अपने किनारे का

कंधा दिया था
मैं चाहता था कि

खींच लाऊं समंदर को

अपने शहर तक
पर मैं जानता हूँ

महानगर में दर्द होते हैं...

देखा है समंदर नम होते हुए.....

7/16/2010

मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना........

Blogvani.com







मुझे तो आदत है आपको याद करने की,



अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......


ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है...


कभी दूर तो कभी क़रीब होते है


दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है


और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......


एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,


हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,

मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,


हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर....

खुद अपनी पहचान से अनजान हूँ मैं.....


Blogvani.com
















खुद अपनी पहचान से अनजान हूँ मैं

अपने बारे में तुझे कुछ बताऊँ कैसे .....??



बहुत सिमटी हुई छोटी सी दुनिया है मेरी

इस दिल की गहराईओं में आपको ले जाऊं कैसे ......??



आसमान की ऊँचाइयों तक मेरे ख्वाब बिखरे हैं ,

अपने अरमानों ही हद मैं दिखाऊँ कैसे ....???



मुस्कराना मेरी अब आदत है, आंसुओं को छुपा कर ,

पर हर गम को अपनी हंसी से बहलाऊँ कैसे..... ?



होकर मेरी सरहदों में शामिल, आप ही जान लो मुझे,

किसी और तरह आपको अपने दिल से मिलवाऊँ कैसे....