3/30/2010

.........अब आमसहमति


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जिस तरह से राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल को लेकर हंगामा मचा और सदन की गरिमा के साथ मज़ाक उड़ाया गया....उसको फिर लोक सभी में दोहराया ना जाय इस को लेकर सरकार सदन के बाहर ही होम वर्क कर लेना चाहती है। महिला आरक्षण बिल को लेकर सरकार लोक सभा में पास करवाने के लिए अपना मन बना चुकी है....लेकिन वो इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है.....सरकार नहीं चाहती है कि लोक सभा में भी वो हंगामा हो जो राज्य सभा में हो चुका है.... वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने महिला आरक्षण विधेयक पर मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद और शरद यादव के कड़े विरोध की पृष्ठभूमि में यह बैठक बुलाई है। मुखर्जी लोकसभा में सदन के नेता भी हैं। सरकार इस महिला आरक्षण बिल को लेकर आम सहमति के लिए 5 अप्रैल को सभी दलों की बैठक बुलाई है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को राज्य सभा की मंजूरी मिल चुकी है। मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी भी इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रही है। वही कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली का कहा है कि सरकार संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में महिला आरक्षण विधेयक को उसके वर्तमान स्वरूप में ही पारित कराने के लिए लोकसभा में रखने जा रही है। यानि सरकार इस बिल में किसी संशोधन के साथ लोक सभा में नहीं रखना चाहती है तो फिर आम सहमति के नाम पर इस बैठक का मकसद क्या रह जाता है....... लोकसभा का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हो रहा है। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान करने वाले इस विधेयक में कई दल आरक्षण के भीतर आरक्षण की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं। राजद, सपा और बसपा आदि का कहना है कि इसमें अन्य पिछड़े वर्गो और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए कोटा तय होना चाहिए। वही सपा नेता मुलायम सिंह ने विधेयक के विरोध में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां कर इस मुद्दे पर अपने कड़े रुख का इज़हार पहले की कर दिया है.... उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के 10 साल बाद एक भी पुरूष लोकसभा के लिए चुना नहीं जा सकेगा और सदन में ऐसी महिलाएं आएंगी, जिन्हें देख कर लोग सीटी बजाया करेंगे......इस टिप्पणी के बाद महिला आरक्षण बिल को लेकर महिला के ह़क की बात करने वाले इन लोगोंकी सोच और करनी में साफ फर्क नज़र आने लगा है...... महिला आरक्षण बिल के मौजूदा स्परुप को लेकर मायावती के नेतृत्व वाली बसपा और लालू प्रसाद की राजद विधेयक के वर्तमान स्वरूप में परिवर्तन चाहती हैं। वही शरद यादव के नेतृत्व वाले जदयू का एक वर्ग भी ऐसा ही चाहता है और तो और केंद्रीय मंत्री ममता बनर्जी भी इस महिला आरक्षण को लेकर वही राय रखती है जो इस बिल के घोर विरोधी लालू, मुलायम और शरद के साथ अपने सुर से सुर मिलाती नज़र आ रही है..... दूसरी तरफ राज्यसभा में बीजेपी ने जिस तरह से विधेयक के समर्थन में खड़ी दिखी थी लेकिन अब बीजेपी में भी इस बिल को लेकर कुछ लोग विधेयक में बदलाव की पहल करते दिख रहे है......वही 15 अप्रैल से दुबारा सदन की कार्यवाही शुरु हो रही है और सरकार इस बिल को लेकर आमसहमति के साथ-साथ अपने अड़ियल रवैये दोनों दिखा रही है..... और साथ ही इस बिल को लेकर विरोधियों के खेमें में भी तादात बढती जा रही है.....जो पार्टियां राज्य सभा में बिल का समर्थन कर रही थी अब वो अपने ही पार्टी में उठते विरोध के कारण पीछे हटती जा रही है.....यानि आम सहमति के नाम पर महिलाओं के आरक्षण का मुद्दा अभी कुछ दिनों के लिए खटाई में पड़ सकता है......

3/22/2010

माला के फेर में......

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माला फेरत जग फिरा, फिरा ना मन का फेर।

कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर।।

कबीर दास ने इस दोहे में लोगों को यही बताने की कोशिश की थी कि इस संसार में माया को त्याग कर अपने मन को पवित्र करो, माला फेरने से आप इस माया रुपी संसार के भवर से बच नहीं सकते........ कबीर दास ने जिस तरह से माला को लेकर इस दोहे में बताने की कोशिश की इस को त्याग कर मन को पवित्र रखो। लेकिन इस समय हमारी राजनीतिक पार्टियों इसी मायारुपी माला के फेर में पड़ चुकी है....... जहां देखा जाय वहां मालाओं की चर्चा गर्म है......मालाओं के प्रयोग करना राजनीतिक पार्टियों के लिए कोई नयी बात नहीं है.....हर पार्टी के मंच को मालाओं से आप लदा हुए देख चुके होगे.......ये मालाएं भगवान के गले से लेकर हमारे अपने नेताओं के गले की शोभा बढ़ाते रहे है......तो कभी शादी जैसे पवित्र बंधन में बधते वक्त लोग इसी माला का इस्तेमाल करते रहे है। ये तो रही फूलों के मालाओं की बात.....लेकिन इस समय पैसे के मालाओं को लेकर चर्चा का बाजार काफी गर्म है......जो मायावती को बसपा की रजत जयंती पर पहनाया गया.... कहा जाता है कि इस माले में हजार-हजार के नोट लगाये गये थे.......इस मालें में लगे नोटों की कुल कीमत मात्र 5 करोड़ ऑकी गयी थी। इस माले को लेकर मीडिया और राजनीतिक पार्टियों में खुब हो-हल्ला मचा और इस को लेकर एक जनहित याचिका भी लखनऊ में डाली गयी और सीबीआई जाच की मांग की गयी......लेकिन अदालत ने इस मामले को खारिज कर दिया। माले को ही लेकर बसपा यानि मायवती के घोर विरोधी रही सपा यानि मुलायम सिंह यादव चर्चा में आ गये.....फर्क सिर्फ इतना है कि मुलायम सिंह माला पहनाने को लेकर चर्चा बटोर रहे है.......यह बाकया भी लखनऊ का है जहां राममनोहर लोहिया के जन्म शताब्दी समारोह के दिन लोहिया की मूर्ती का माला पहनाने चले गये। मुलायम सिंह यादव जिस मूर्ती का माल्यार्पण कर रहे थे उसका अनावरण भी नहीं किया गया था......मुलायम को ये डर सता रहा था कि कहीं इस मूर्ती का अनावरण मायावती के हाथों ना हो जाय.....इससे पहले मैं ही इस पर माला पहना कर अपने और अपनी पार्टी के लोहिया के नुमाइन्दगी का सबूत दे दू.......लेकिन खास बात ये रही कि जिस तरह से उन्होंने इस मूर्ती को माला पहनाया....उसे देख कर यही लग रहा था कि वो लोहिया का सम्मान कम अपना कुछ ज्यादा कर रहे थे........इसी माला की कड़ी में एक और राजनेता का नाम जुड़ता नज़र आ रहा है और यह मामला है बिहार की राजधानी पटना का......जहां लोक जनशक्ति पार्टी के नेता साबिर अली को उनके समर्थकों ने छह टन की माला पहना दी......और तो और इस माला को पहनाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल करना पड़ा......आखिर ये माला का फेर है जिससे बड़े-बड़े सन्यासी नहीं बच सके........तो ये राजनेता कैसे बच कर निकल पायेगें.......




3/10/2010

अब आम सहमति के नाम पर टालमटोल.........

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राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल पर जिस गहमागहमी और जल्दबाजी में सरकार ने पारित करवाया इससे यही जान पड़ता था कि ये बिल जल्द ही पास हो जायेगा। लेकिन अब जिस तरह महिला आरक्षण बिल को लेकर संसद के अन्दर और बाहर हंगामा हो रहा है सरकार सहम चुकी है। महिला आरक्षण बिल को लेकर विरोध का स्वर जिन पार्टियों के तरफ से उठ रही है वो किसी भी कीमत पर इस बिल को लोक सभा में पारित नहीं होने देना चाहते है..... इस कड़ी में लालू, मुलायमऔर शरद यादव बार- बार संसद में इस बिल का विरोध कर रही रहे है....साथ ही साथ वो संसद के बाहर प्रधानमंत्री मनमोहन लिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस मामले का कोई सर्वमान्य हल की बात कह रहे है। महिला आरक्षण बिल का मामला अभी तो कुछ दिनो के लिए टलता नज़र आ रहा है..... अब सरकार भी आम सहमति की बात कह रही है.....आज लोक सभा में प्रवण मुखर्जी ने कहा कि वो आम सहमति के बाद ही इस बिल को लोक सभा में पेश करगी। महिला आरक्षण विधेयक पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद और जदयू के अध्यक्ष शरद यादव की आपत्तियों का जवाब देते हुए मुखर्जी ने लोकसभा में कहा कि सभी मतभेदों को सुलझाने और आम सहमति बनाने के बाद ही सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पेश करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार ने पहले भी महिलाओं के आरक्षण के मुद्दे पर आम सहमति कायम करने की कोशिश की लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। मुखर्जी ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने में कोई एतराज नहीं है और इस मसले पर प्रधानमंत्री भी इन नेताओं से बात कर चुके है। मुखर्जी ने कहा कि किसी भी विधेयक पर निर्णय संसद के सदस्यों द्वारा संवैधानिक प्रावधानों के तहत ही लिया जाना चाहिए। लेकिन सरकार जिन बातों को लेकर आम सहमति की बात कर रही है दरअसल हकीकत कुछ और ही है...... कांग्रेस सरकार अपने पार्टी हो रही गुटबाजी के स्वर को भाप कर इस तरह की बात कह रही है..... कांग्रेस के कुछ नेता खुले तौर पर महिला आरक्षण बिल के मौजूदा स्वरुप को स्वीकार करने को तैयार नहीं है.....यानि अब इस बिल पर जो कुछ हो रहा है उसे तो यही कहा जा सकता है कि राज्य सभा में बिल पास होने के बाद अब राजनीति शुरु हो चुकी है....... वहीं बीजेपी महिला बिल का लोक सभा में समर्थन की बात तो कह रही है......लेकिन बीजेपी के कुछ सांसद इस बिल के विरोध में खड़े हो गये है.........इसी विरोध के स्वर को भापते हुए बीजेपी ने अपने संसद सदस्यों के लिए व्हिप जारी करने का मन बना लिया है। अब बीजेपी और कांग्रेस के लिए महिला आरक्षण बिल पास कराना ढेडी खीर बनता जा रहा है.......जो इस बिल को पूरी तरह से समर्थन कर रहे थे...... अब आम लहमति बनाने का मन सरकार बना चुकी है....और संसद की कार्यवाही 13 मार्च के बाद एक महीने के लिए बन्द हो जायेगी....यानि अब ये बिल एक महीने के लिए तो टल ही जायेगा ऐसे हालात बनते नज़र आ रहे है। आखिर सरकार को इस बात का अंदाजा तो पहले ही था कि कुछ पार्टियां इसका विरोध कर रही है.....तो सरकार को राज्य सभा में इस बिल को बिना बहस पास करवाने की जल्दी क्या थी......पहले ही क्यों ना इस पर आम महमति बनाने की कोशिश की गयी.... क्या सरकार महिला के हितों की हिमयती का नाटक मात्र कर रही थी...... सवाल तो बहुत है जिसका जबाज आम लोग सरकार से चाहते है......लेकिन अहम बात ये है कि महिला आरक्षण बिल अब आम सहमति के नाम पर टलता नज़र आ रहा है....

3/08/2010

महिलाओं को आरक्षण........अभी देर लगेगी...

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8 मार्च को राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल पेश किये जाने से पहले का मंजर तो हम देख ही चुके थे। किस तहर से मर्यादा को ताख पर रख कर हमारे सांसदों ने सदन की गरीमा को ताख पर रख दिया था। इन सांसदों को राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी ने बजट सत्र से बाकी की कार्यवाही से बर्खास्त कर दिया गया। संसदीय कार्य राज्यंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सपा के कमाल अख्तर, आमिर आलम खान, वीरपाल सिंह और नंद किशोर यादव, जद यू के निलंबित सदस्य डा. एजाज अली, राजद के सुभाष यादव तथा लेाजपा के साबिर अली को मौजूदा सत्र के शेष भाग के लिए आज निलंबित करने का एक प्रस्ताव पेश किया। जिसे ध्वनि मत से पारित कर लिया गया और सभापति ने इनकी बर्खास्ती का फ़रमान सुना दिया। लेकिन इसके बाद भी सदन की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा। महिला आरक्षण बिल को लेकर सपा, बसपा, आरजेडी और जेडीयू के कुछ सासद अड़ चुके है। इन पार्टियों की साफ राय है कि महिला आरक्षण बिल को मौजूदा स्वरुप में पारित नहीं होने देगे। इन पार्टियों का रुख साफ है इसलिए ये सदन के अन्दर बिल का विरोध कर रहे है और सदन के बाहर सरकार के साथ बैठक कर इस बिल को रोकने की कोशिश कर रहे है। आज सुबह से ही बैठकों का दौर शुरु हो चुका है। इसी क्रम में लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और इस बिल को संसोधित कर पेश करने की मांग की। साथ ही साथ प्रवण मुखर्जी से भी मुलाकात की लेकिन बैठक बेनतीजा रही। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गॉधी से भी मुलाकात का दौर चला और आम सहमति के आधार पर बिल पेश करने की मांग उठाई गयी। वहीं बीजेपी और कांग्रेस इस को को पास कराने की जल्दबाजी में लग चुकी है, वो किसी भी कीमत पर बिल को पास कराने की होड़ में लग चुके है। बीजेपी के सांसद इस मुद्दे को लेकर संसद के बाहर नारेबाजी तक पर उतारु हो चुके है। दूसरी तरफ कानून मंत्री वीरप्पा मोइली का कहना है कि सरकार इस बिल को जबरन पास नहीं कराना चाहती है। यानि सरकार इस बिल को बिना बहस पास नहीं कराना चाहती है। लेकिन अहम सवाल ये है कि महिला आरक्षण बिल को लेकर जो खीचतान मची है कहा तक उचित है। सभी पार्टियों की अपनी-अपनी मजबूरियां है जो इस बिल के पास होने के बीच रोड़ा बनते जा रहे है। वही भाजपा ने दोहराया कि महिला आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा नहीं होने पर वह मतदान में हिस्सा नहीं लेगी। वही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान किया था कि सरकार विधेयक को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पारित कराएगी लेकिन वह अपने वायदे पर कायम नहीं रहीं। अब सब पार्टियों के बयानों से तो यही जान पड़ता है कि आम सहमति के नाम पर महिला आरक्षण बिल कुछ दिनों के लिए टाला जा सकता है...... यानि महिला आरक्षण बिल खटाई में पड़ चुका है।

3/07/2010

ये कैसा सम्मान.....


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आज यानि 8 मार्च को भारतीय राजनीति के इतिहास में सवर्णिम दिन माना जा सकता है....... आज ही अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जा रहा है..... और इसी को ध्यान में रख कर भारतीय राजनीति का मन्दिर कहे जाने वाले संसद में महिलाओं को संसद में प्रतिनिधित्व देने के लिए महिला आरक्षण बिल को राज्य सभा में पेश कर दिया गया है। लेकिन इस बिल को पेश करने में सरकार को भारी मशक्त करनी पड़ी...... इस विल को संसद की पटल पर पहुचने से पहले भारी विरोधों का सामाना करना पड़ा है..... अभी इस महिला आरक्षण बिल को पास करवाना सरकार के टेढी खीर बनता नज़र आ रहा है..... आज इस बिल को राज्य सभा में पेश करने में कुछ पार्टियों को विरोध करना पड़ा..... इस विरोध के कारण संसद की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा। सभी राजनीतिक दलों को महिला आरक्षण बिल को लेकर अपने-अपने तर्क है.....कोई इसके समर्थन की बात कर रहा है....तो कोई इस बिल को अपनी पिछली सरकार की देन बता रहा है......तो कोई खुले तौर पर बिरोध कर रहा है....... और इस विरोध के पीछे अपनी दलील दे रहा है।


राज्य सभा में 2 बजे इस बिल को संसद के पटल पर केंद्रीय कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली रखने की कोशिश की तो सपा और आरजेडी के सदस्य ने जिस तरह के कारनामें को अंजाम दिया वो कहीं भी सही नहीं ठहराया जा सकता...... राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी के आसन तक पहुच कर बिल को फाड़ा गया और उन्हें बोलने से रोकने के लिए अनके माइक को तोड़ने की कोशिश की गयी। इस मंजर को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि ये मुद्दा विरोध तक सीमित नहीं रह गया बल्कि गुण्डागर्दी तक जा पहुची है..... सपा के सांसद ने बिल को फाड़ा तो आरजेडी के सांसद ने माइक तोड़ डाली...... क्या ये हमारे जन प्रतिनिधि को शोभा देता है.....क्या हमारे सांसदो का ये व्यवहार संसद की गरिमा के अनुरुप सही ठहराया जा सकता है..... कहीं ना कहीं ये सब संसद की गरिमा पर एक करारा तमाचा है जो संसद को बदनाम कर चुका है। राज्य सभा में इस मंजर के बाद मार्शल को तैनात करना पड़ा....यानि संसद जंग का मैदान बन चुकी है।

आखिर सपा, आरजेडी, बसपा और जेडीयू इस बिल के मौजूदा बिल का समर्थन नहीं करना चाहती है तो सरकार को इनसे बातचीत कर कोई रास्ता क्यों नहीं निकाल रही है..... सपा, आरजेडी, बसपा और जेडीयू इस आरक्षण बिल में दलित, अल्पसंखयक और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए इस बिल में अलग से आरक्षण की मांग कर रहे है......इनका मानना है कि मौजूदा आरक्षण बिल के स्वरुप से पिछड़े वर्गों की महिलाओं को फायदा नहीं होने वाला है। यानि आरक्षण में आरक्षण की मांग की जा रही है.......जहां तक देखा जाय तो इनकी दलील को गलत नहीं ठहराया जा सकता।

जिस तरह से इस महिला आरक्षण बिल को लेकर संसद और संसद से बाहर महाभारत मचा हुआ है और जिस तरह से शब्दवाणों का दौर चल रहा है.....और राजनीतिक पार्टियां इस बिल पर अपना क्रेडिट लेने की फिराक में लग चुकी....जबकि इस बिल को सदन की पटल पर रखने पर इतनी मारामारी मच चुकी है....बिल के पास होने पर राजनीति पार्टियां भुनाने को पूरी कोशिश करेगी। एक बात तो सब दलों में कॉमन है कि महिलाओं को संसद में आरक्षण मिले लेकिन कुछ लोग इस आरक्षण में जाति और धर्म के आधार पर भी आरक्षण की मांग रहे है तो कुछ लोग इस का विरोध कर रहे है......लेकिन जिस तरह से इस बिल को ले कर खीचातानी मची है....अगर ये बिल किसी तरह से पास भी हो जाय तो ये महिलाओं के लिए कैसा सम्मान.....जिसे देने के लिए देश की गरिमा को दाव पर लगा दिया गया...... क्या हमारे देश की महिलायें इसी सम्मान की हकदार है......

3/06/2010

बाबाओं की हसीन दुनियां.........

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संत परंम्परा के अनुसार संत कुछ लेते हैं लेकिन संत नित्यानदं ने उल्टा कुछ दिया है। ये शब्द हैं गुजरात राज्य के मुखिया नरेंद्र मोदी के जो उन्होने नित्यांनंद के बारे में कहे। ये वही बाबा नित्यानंद हैं जो आज कल पुलिस से बचने के लिए फरार हैं। एक प्रदेश का मुखिया उस संत की तारीफ में कसीदे पढ़ राह है जिसके आश्रम में अय्याशी और लड़कियों के साथ रंग रलियां मनाना बाबा का पसंदीदा खेल हो। गुजरात के मुखिया ने जिस ढंग से सीडी प्रकरण के बाबा की शान मे कसीदे पढे वो भले ही बाबा और मोदी के रिश्तों को उजागर करने के लिए काफी हों लेकिन उसका सबसे खतरनाक पहलू ये हैं कि राज्य के मुखिया की वकालत के बाद पुलिस और प्रशासन इस अय्याशी और अश्लील सीडी के आरोपों से घिरे बाबा की जांच के बजाए उसको सुरक्षा देने में लग गया होगा। बगलूरु के बाबा नित्यानंद के आश्रम में लड़कियां भी आती थी और उनके साथ न जाने क्या होता था। ये तमाम चर्चाएं गर्म थी। भक्ति और भगवान का सही पता बताने के नाम पर लोगों की आस्था से खिललवाड़ करने वाले बाबा के आश्रम पर कोई उंगली उठाने की इसलिए हिम्मत नहीं करता था कि बड़े बड़े नेता ही नहीं बल्कि पुलिस और प्रशासन के आला अफसर नित्यानंद के आश्रम में हाज़िरी लगाते थे। सूत्रों की माने तो नित्यानंद अपने काले साम्राज्य को बढाने के लिए कई अधिकारियों और नेताओं की मदद लेता था। और इसके लिए कई नेता और अफसर या तो उसकी मुठ्ठी में थे या फिर उसके नैक्सस में शामिल थे। इतना ही नहीं कई लोगों का ये भी कहना है कि बाबा ने कई लोगो की अश्लील सीडी तक बनाई हुई थी। बाबा के आश्रम में रंग रलियां मनाने वाले कई लोग अपनी सीडी सामने आने के डर से कभी कुछ बोल नहीं पाते थे। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में यहां के एक सेवक लैनिन का भी रोल अहम बताया जा रहा है। हांलाकि यही लेनिन बंटवारे और लालच के चक्कर मे संत के भी खिलाफ हो गया। और उसने बाबा की ही अश्लील सीडी उजागर कर दी। सीडी को देखने वालों के मुताबिक नित्यानंद कई लड़कियों और अभिनेत्रियों के साथ वो सब कुछ करते देख गये जो शायद एक संत के लिए शोभा नहीं देता। ऐसे में नरेंद्र मोदी की नित्यानंद से नज़दीकियों और उनके रोल की जांच होना बेहद ज़रूरी है ताकि ये बात साफ हो सके कि संत नित्यानंद ने देने के नाम पर मोदी का क्या क्या दिया। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में देश भर मे आस्था के नाम पर जो हुआ वो किसी भी तरह आस्था का परिणाम नहीं हो सकता। चाहे दिल्ली से पकड़े गये बाबा इच्छाधारी यानि राजीव रंजन द्विवेदी हों जो दिल्ली में हाई प्रोफाइल सैक्स रैकेट चला रहा था। दिल्ली पुलिस के हाथ लगे इस बाबा के मंदिर मे बाक़ायदा लड़कियों को रखने और उनके साथ रंग रलियां मनाने के लिए पूरी इंतिज़ाम था। लोगों का यहां तक कहना है कि आश्रम में बडे बड़े लोग आते थे। वावा राजीव रंजन के साथ पूर्व मंत्री डीपी यादव, दिल्ली के नेता विजय जौली और बीजेपी के पूर्व सांसद कीर्ति आज़ाद तक के सम्बंध बताए जा रहे हैं। इतना ही नहीं ददुआ जैसे खुंखार डकैत को हथियार सप्लाई करने वाला बाबा इंच्छाधारी देश की राजधानी में अय्याशी के दम पर अपना रैकेट चलाता रहा और पुलिस बेखबर थी..... उधर अपनी पत्नी के श्राद्ध मनाने वाले कृपालु महाराज इसलिए फरार हैं कि वहां साठ से ज़्यादा लोगो की उनके आश्रम में मौत हो गई है.........अब दिल्ली के सटे गाजियाबाद में एक बाबा अनुप कुमार पर आरोप है कि एक लड़की के प्यार में पागल हो चुका है। इस बाबा ने इस लड़की का अपहरण कर लिया है और वो इस लडकी से शादी करने के फिराक में है। आशाराम बापू की कथनी और करनी का फर्क तो सबके सामने हैं ही। ऐसे में अब जनता को खुद ही तय करना होगा कि वो आदमी में भगवान को तलासने के चक्कर में किसी को भी शैतान बना सकती है। भगवान तो भगवान होता है, अब इंसान में भगवान को ढूडना हमारी कहा की समझदारी है.....