4/28/2011

.मत पूछो ये मुझसे की कब याद आते हो..........

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मत पूछो ये मुझसे की कब याद आते हो,

जब-जब साँसे चलती है बहुत याद
आते हो |

नींद में पलकें होती हैं जब भी भरी,

बनके ख्वाब
बार-बार नज़र आते हो|

महफिल में शामिल होते हैं हम जब भी,

भीड़
की तन्हाइयों में हरबार नज़र आते हो|

जब भी सोचा की फासला रखूँ मैं
तुमसे,

ज़िन्दगी बनके साँसों में समां जाते हो|

खुद को तूफ़ान
बनाने की कोशिश तो की,

बनके साहिल अपनी आगोश में समा जाते हो|

चाह
ना था मैंने इस पहेली में उलझना,

हर उलझन का जबाव बनके उभर आते हो|

सूरज
की रौशनी, चंदा की चाँदनी,

आसमान को देखता हूँ मैं जब-जब,

तुम्हारी
कसम बहुत-बहुत याद आते हो|

अब ना पूछो मुझसे की कब-कब याद आते हो........

8 टिप्‍पणियां:

  1. भावों को खूबसूरती से प्रेषित किया है ..



    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति ..

    चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 03- 05 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. किस - किस तरह से तुम याद आते हो ...
    सुन्दर गीत !

    जवाब देंहटाएं
  4. सूरज
    की रौशनी, चंदा की चाँदनी,

    आसमान को देखता हूँ मैं जब-जब,

    तुम्हारी
    कसम बहुत-बहुत याद आते हो|

    Ashok ji , I am amazed` at your writing skills .

    Best wishes.

    .

    जवाब देंहटाएं
  5. बेनामीमई 04, 2011

    khud ko tufan banane ki kosish..........

    bahot acchi pankti

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  6. yaad aana uska bhoolne nahi deta
    yaad aana uska kuchh aur yaad aane nahi deta.

    sunder abhivyakti.

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