3/22/2010

माला के फेर में......

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माला फेरत जग फिरा, फिरा ना मन का फेर।

कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर।।

कबीर दास ने इस दोहे में लोगों को यही बताने की कोशिश की थी कि इस संसार में माया को त्याग कर अपने मन को पवित्र करो, माला फेरने से आप इस माया रुपी संसार के भवर से बच नहीं सकते........ कबीर दास ने जिस तरह से माला को लेकर इस दोहे में बताने की कोशिश की इस को त्याग कर मन को पवित्र रखो। लेकिन इस समय हमारी राजनीतिक पार्टियों इसी मायारुपी माला के फेर में पड़ चुकी है....... जहां देखा जाय वहां मालाओं की चर्चा गर्म है......मालाओं के प्रयोग करना राजनीतिक पार्टियों के लिए कोई नयी बात नहीं है.....हर पार्टी के मंच को मालाओं से आप लदा हुए देख चुके होगे.......ये मालाएं भगवान के गले से लेकर हमारे अपने नेताओं के गले की शोभा बढ़ाते रहे है......तो कभी शादी जैसे पवित्र बंधन में बधते वक्त लोग इसी माला का इस्तेमाल करते रहे है। ये तो रही फूलों के मालाओं की बात.....लेकिन इस समय पैसे के मालाओं को लेकर चर्चा का बाजार काफी गर्म है......जो मायावती को बसपा की रजत जयंती पर पहनाया गया.... कहा जाता है कि इस माले में हजार-हजार के नोट लगाये गये थे.......इस मालें में लगे नोटों की कुल कीमत मात्र 5 करोड़ ऑकी गयी थी। इस माले को लेकर मीडिया और राजनीतिक पार्टियों में खुब हो-हल्ला मचा और इस को लेकर एक जनहित याचिका भी लखनऊ में डाली गयी और सीबीआई जाच की मांग की गयी......लेकिन अदालत ने इस मामले को खारिज कर दिया। माले को ही लेकर बसपा यानि मायवती के घोर विरोधी रही सपा यानि मुलायम सिंह यादव चर्चा में आ गये.....फर्क सिर्फ इतना है कि मुलायम सिंह माला पहनाने को लेकर चर्चा बटोर रहे है.......यह बाकया भी लखनऊ का है जहां राममनोहर लोहिया के जन्म शताब्दी समारोह के दिन लोहिया की मूर्ती का माला पहनाने चले गये। मुलायम सिंह यादव जिस मूर्ती का माल्यार्पण कर रहे थे उसका अनावरण भी नहीं किया गया था......मुलायम को ये डर सता रहा था कि कहीं इस मूर्ती का अनावरण मायावती के हाथों ना हो जाय.....इससे पहले मैं ही इस पर माला पहना कर अपने और अपनी पार्टी के लोहिया के नुमाइन्दगी का सबूत दे दू.......लेकिन खास बात ये रही कि जिस तरह से उन्होंने इस मूर्ती को माला पहनाया....उसे देख कर यही लग रहा था कि वो लोहिया का सम्मान कम अपना कुछ ज्यादा कर रहे थे........इसी माला की कड़ी में एक और राजनेता का नाम जुड़ता नज़र आ रहा है और यह मामला है बिहार की राजधानी पटना का......जहां लोक जनशक्ति पार्टी के नेता साबिर अली को उनके समर्थकों ने छह टन की माला पहना दी......और तो और इस माला को पहनाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल करना पड़ा......आखिर ये माला का फेर है जिससे बड़े-बड़े सन्यासी नहीं बच सके........तो ये राजनेता कैसे बच कर निकल पायेगें.......




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