3/08/2010

महिलाओं को आरक्षण........अभी देर लगेगी...

Blogvani.com
8 मार्च को राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल पेश किये जाने से पहले का मंजर तो हम देख ही चुके थे। किस तहर से मर्यादा को ताख पर रख कर हमारे सांसदों ने सदन की गरीमा को ताख पर रख दिया था। इन सांसदों को राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी ने बजट सत्र से बाकी की कार्यवाही से बर्खास्त कर दिया गया। संसदीय कार्य राज्यंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सपा के कमाल अख्तर, आमिर आलम खान, वीरपाल सिंह और नंद किशोर यादव, जद यू के निलंबित सदस्य डा. एजाज अली, राजद के सुभाष यादव तथा लेाजपा के साबिर अली को मौजूदा सत्र के शेष भाग के लिए आज निलंबित करने का एक प्रस्ताव पेश किया। जिसे ध्वनि मत से पारित कर लिया गया और सभापति ने इनकी बर्खास्ती का फ़रमान सुना दिया। लेकिन इसके बाद भी सदन की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा। महिला आरक्षण बिल को लेकर सपा, बसपा, आरजेडी और जेडीयू के कुछ सासद अड़ चुके है। इन पार्टियों की साफ राय है कि महिला आरक्षण बिल को मौजूदा स्वरुप में पारित नहीं होने देगे। इन पार्टियों का रुख साफ है इसलिए ये सदन के अन्दर बिल का विरोध कर रहे है और सदन के बाहर सरकार के साथ बैठक कर इस बिल को रोकने की कोशिश कर रहे है। आज सुबह से ही बैठकों का दौर शुरु हो चुका है। इसी क्रम में लालू यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और इस बिल को संसोधित कर पेश करने की मांग की। साथ ही साथ प्रवण मुखर्जी से भी मुलाकात की लेकिन बैठक बेनतीजा रही। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गॉधी से भी मुलाकात का दौर चला और आम सहमति के आधार पर बिल पेश करने की मांग उठाई गयी। वहीं बीजेपी और कांग्रेस इस को को पास कराने की जल्दबाजी में लग चुकी है, वो किसी भी कीमत पर बिल को पास कराने की होड़ में लग चुके है। बीजेपी के सांसद इस मुद्दे को लेकर संसद के बाहर नारेबाजी तक पर उतारु हो चुके है। दूसरी तरफ कानून मंत्री वीरप्पा मोइली का कहना है कि सरकार इस बिल को जबरन पास नहीं कराना चाहती है। यानि सरकार इस बिल को बिना बहस पास नहीं कराना चाहती है। लेकिन अहम सवाल ये है कि महिला आरक्षण बिल को लेकर जो खीचतान मची है कहा तक उचित है। सभी पार्टियों की अपनी-अपनी मजबूरियां है जो इस बिल के पास होने के बीच रोड़ा बनते जा रहे है। वही भाजपा ने दोहराया कि महिला आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा नहीं होने पर वह मतदान में हिस्सा नहीं लेगी। वही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान किया था कि सरकार विधेयक को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पारित कराएगी लेकिन वह अपने वायदे पर कायम नहीं रहीं। अब सब पार्टियों के बयानों से तो यही जान पड़ता है कि आम सहमति के नाम पर महिला आरक्षण बिल कुछ दिनों के लिए टाला जा सकता है...... यानि महिला आरक्षण बिल खटाई में पड़ चुका है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें