3/30/2010

.........अब आमसहमति


Blogvani.com
जिस तरह से राज्य सभा में महिला आरक्षण बिल को लेकर हंगामा मचा और सदन की गरिमा के साथ मज़ाक उड़ाया गया....उसको फिर लोक सभी में दोहराया ना जाय इस को लेकर सरकार सदन के बाहर ही होम वर्क कर लेना चाहती है। महिला आरक्षण बिल को लेकर सरकार लोक सभा में पास करवाने के लिए अपना मन बना चुकी है....लेकिन वो इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है.....सरकार नहीं चाहती है कि लोक सभा में भी वो हंगामा हो जो राज्य सभा में हो चुका है.... वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने महिला आरक्षण विधेयक पर मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद और शरद यादव के कड़े विरोध की पृष्ठभूमि में यह बैठक बुलाई है। मुखर्जी लोकसभा में सदन के नेता भी हैं। सरकार इस महिला आरक्षण बिल को लेकर आम सहमति के लिए 5 अप्रैल को सभी दलों की बैठक बुलाई है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को राज्य सभा की मंजूरी मिल चुकी है। मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी भी इस विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रही है। वही कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली का कहा है कि सरकार संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में महिला आरक्षण विधेयक को उसके वर्तमान स्वरूप में ही पारित कराने के लिए लोकसभा में रखने जा रही है। यानि सरकार इस बिल में किसी संशोधन के साथ लोक सभा में नहीं रखना चाहती है तो फिर आम सहमति के नाम पर इस बैठक का मकसद क्या रह जाता है....... लोकसभा का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हो रहा है। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान करने वाले इस विधेयक में कई दल आरक्षण के भीतर आरक्षण की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं। राजद, सपा और बसपा आदि का कहना है कि इसमें अन्य पिछड़े वर्गो और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए कोटा तय होना चाहिए। वही सपा नेता मुलायम सिंह ने विधेयक के विरोध में कुछ विवादास्पद टिप्पणियां कर इस मुद्दे पर अपने कड़े रुख का इज़हार पहले की कर दिया है.... उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के 10 साल बाद एक भी पुरूष लोकसभा के लिए चुना नहीं जा सकेगा और सदन में ऐसी महिलाएं आएंगी, जिन्हें देख कर लोग सीटी बजाया करेंगे......इस टिप्पणी के बाद महिला आरक्षण बिल को लेकर महिला के ह़क की बात करने वाले इन लोगोंकी सोच और करनी में साफ फर्क नज़र आने लगा है...... महिला आरक्षण बिल के मौजूदा स्परुप को लेकर मायावती के नेतृत्व वाली बसपा और लालू प्रसाद की राजद विधेयक के वर्तमान स्वरूप में परिवर्तन चाहती हैं। वही शरद यादव के नेतृत्व वाले जदयू का एक वर्ग भी ऐसा ही चाहता है और तो और केंद्रीय मंत्री ममता बनर्जी भी इस महिला आरक्षण को लेकर वही राय रखती है जो इस बिल के घोर विरोधी लालू, मुलायम और शरद के साथ अपने सुर से सुर मिलाती नज़र आ रही है..... दूसरी तरफ राज्यसभा में बीजेपी ने जिस तरह से विधेयक के समर्थन में खड़ी दिखी थी लेकिन अब बीजेपी में भी इस बिल को लेकर कुछ लोग विधेयक में बदलाव की पहल करते दिख रहे है......वही 15 अप्रैल से दुबारा सदन की कार्यवाही शुरु हो रही है और सरकार इस बिल को लेकर आमसहमति के साथ-साथ अपने अड़ियल रवैये दोनों दिखा रही है..... और साथ ही इस बिल को लेकर विरोधियों के खेमें में भी तादात बढती जा रही है.....जो पार्टियां राज्य सभा में बिल का समर्थन कर रही थी अब वो अपने ही पार्टी में उठते विरोध के कारण पीछे हटती जा रही है.....यानि आम सहमति के नाम पर महिलाओं के आरक्षण का मुद्दा अभी कुछ दिनों के लिए खटाई में पड़ सकता है......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें