5/05/2010

अब कसाब भी फांसी के इंतजार में


Blogvani.com
26/11 के मुम्बई हमले में एक मात्र जिन्दा पकड़े गये पाक आंतकी अजमल आमिर कसाब को गुरुवार को विशेष अदालत ने मौत की सजा दी। तीन दिन पहले कसाब को सामूहिक हत्या और देश के खिलाफ जंग छेड़ने का दोषी ठहराया गया था। आतंकवाद निरोधी विशेष अदालत के न्यायाधीश एमएल तहलयानी ने 22 वर्षीय कसाब को मौत की सजा सुनाई। हमलों के एकमात्र जिंदा आरोपी कसाब का मुकदमा लगभग एक साल चला। कसाब को देश के खिलाफ जंग छेड़ने, हत्या, आपराधिक साजिश और आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने समेत पांच आरोपों के तहत फांसी की सजा सुनाई गई। कसाब का यह मामला अपनी तरह के विरले मामलों में आता है, जिसके लिए उसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए। अजमल आमिर कसाब की कानूनी नियति को लेकर देश में किसी को संदेह नहीं था। देश पर सबसे बड़े और प्रत्यक्ष आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए और उनके द्वारा कब्जा किए गए भवन को मुक्त कराने में हमारी सुरक्षा एजेंसियों को पूरे तीन दिन लगे.... ऐसे में सीधे मोर्चा लेते पुलिस के हाथ लगे आतंकी के साथ न्याय प्रणाली किसी प्रकार की रियायत बरतेगी इसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। जिस व्यक्ति पर राज्य के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का आरोप हो और जो सरेआम भयानक आतंक फैलाते, खून के छींटे उड़ाते, हत्याएं करते, विध्वंस मचाते हुए घटनास्थल पर पकड़ा गया हो, उसे किसी न्यायालय से रहम मिल भी नहीं सकती....... उस पर हत्या से लेकर, आपराधिक षड्यंत्र, गैरकानूनी गतिविधिया आदि कानूनों के अंतर्गत जितने आरोप लगाए गए थे उनमें ज्यादातर में उसे दोषी सिद्ध होना ही था.....वही स्वयं कसाब भी यह मान चुका था कि उसका अपराध सिद्ध हो चुका है। वास्तव में कसाब एवं हमले के पाकिस्तानी सूत्रधारों के संबंध में पुलिस ने अपने आरोप पत्र में जितने सबूत पेश किए थे, न्यायालय ने उनमें से ज्यादातर को स्वीकार कर लिया है। इसे मुंबई पुलिस सहित जाच में लगी अन्य सुरक्षा एजेंसिया यकीनन आत्मतुष्ट हो सकती हैं। लेकिन इन सब के बाद अब सवाल ये उठता है कि कसाब को दी गयी सजा पर अमल कब होता है। हमारे देश की अदालत द्दारा दिये गये 56 अपराधी अभी भी अपनी मौत के इंतजार में कतार में खड़े है। यानि कसाब भी अब उन्ही की कतार नें खड़ा हो गया है....इन सब में एक नाम में एक नाम ऐसा भी है जो हमारी लोक तंत्र के मन्दिर कहे जाने वाले संसद पर हमले के अपराधी अफजल गुरु है....जिसके फांसी की सजा को लेकर राजनीति खेली जा रही है......खैर कसाब को आगे के अदालतों में अपील करने के अभी काफी मौके है...... कसाब अभी अपनी सजा को कम करवाने के लिए अदालत के कई दरवाजे खटखटा सकता है.....लेकिन इतना तो तय है कि वो भी फांसी की सजा पाने वालों का कतार में आ खड़ा हुआ है... अदालत, पुलिस और जांच ऐजेंसियों ने तो अपने काम को बखुबी अंजाम दे दिया है....लेकिन कही इस मामले मे भी संसद हमले की ही तरह राजनीति ना शुरु हो जाय...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें