5/25/2010

झारखंड में अब कांग्रेस की पैतरेबाजी....


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झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता को भापते हुए कांग्रेस अब अपनी बाजी खेलने जा रही है। बीजेपी की बाजी को पलटता देख कांग्रेस ने अपनी पैतरेबाजी तेज कर दी है , लेकिन वो बीजेपी की तरह खुलकर शिबू सोरेन सरकार के पक्ष में खड़ा नहीं होने चाहती है। कांग्रेस की इस पैतरेबाजी की मुहिम में वो शिबू सोरेन को बचा हुआ एक महीने का कार्यकाल देकर राज्य में सत्ता की कमान अपने हाथ लेना चाहती है। वो इस काम में मोहरा झारखंड विकास मोर्चा के अक्ष्यक्ष बाबूलाल मंराडी को बनाना चाहती है। कांग्रेस ये चाह रही है कि शिबू सोरेन को एक महीने का कार्यकाल बचा है यानि एक माह बाद सोरेन को चुनाव का सामना करना पड़ेगा, तब तक सोरेन की सरकार को बचा कर सत्ता परिवर्तन करा कर बाबू लाल मंराडी को सीएम बनाकर सत्ता की चाभी खुद अपने पास रखना चाहती है। पिछले वर्षो में झारखंड की राजनीति में अपना हाथ जला चुकी कांग्रेस ने इस बार अपनी रणनीति थोड़ी बदल दी है। जहां सरकार गठन के लिए आगे बढ़कर बीजेपी वाली गलती नहीं दोहराना चाहती है, वहीं जल्दबाजी में राष्ट्रपति शासन की ओर भी राज्य को बढ़ाने से बचना चाहती है। नई रणनीति के तहत सोरेन को बाकी बचा एक महीने का कार्यकाल पूरा करने दिया जाएगा। यानि कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा 31 मई को शिबू सोरेन सरकार को बचाने का प्रयास करेगी और अगले माह खुद सत्ता पर काबिज़ होने का ख्वाब देख रही है। झामुमो के असंतुष्ट विधायकों को यह कहने का अवसर नहीं होगा कि गुरुजी को हटाया गया। उसके बाद संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार विधायक न बन पाए गुरुजी को हटना ही होगा। माना जा रहा है कि उसके बाद मरांडी को आगे कर कांग्रेस सरकार गठन की कोशिश में जुटेगी। इस नई रणनीति के पीछे मरांडी की कोशिश है। दरअसल, सोरेन को समझाया गया था कि बीजेपी की सरकार न बनने दें। जरूरत पड़ी तो कांग्रेस और झाविमो उन्हें बचा लेगा। उसके बाद ही सोरेन ने पलटी मारते हुए घोषणा की थी कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन क्या गुरु जी इतनी आसानी से सत्ता की चाभी कांग्रेस के हाथों में दे सकते है जिस तरह से कांग्रेस सोच रही है...गुरु जी ने जिस तरह से पिछले 26 दिनों तक अपने ढंग से बीजेपी को नचाया क्या वो कांग्रेस के लिए कोई और मुसिबत खड़ीं नहीं कर सकते है......आखिर जो भी झारखंड में हो रहा है ये तो जनता और लोकतंत्र के लिए एक छलावा ही कहा जा सकता है..

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