3/07/2010

ये कैसा सम्मान.....


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आज यानि 8 मार्च को भारतीय राजनीति के इतिहास में सवर्णिम दिन माना जा सकता है....... आज ही अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जा रहा है..... और इसी को ध्यान में रख कर भारतीय राजनीति का मन्दिर कहे जाने वाले संसद में महिलाओं को संसद में प्रतिनिधित्व देने के लिए महिला आरक्षण बिल को राज्य सभा में पेश कर दिया गया है। लेकिन इस बिल को पेश करने में सरकार को भारी मशक्त करनी पड़ी...... इस विल को संसद की पटल पर पहुचने से पहले भारी विरोधों का सामाना करना पड़ा है..... अभी इस महिला आरक्षण बिल को पास करवाना सरकार के टेढी खीर बनता नज़र आ रहा है..... आज इस बिल को राज्य सभा में पेश करने में कुछ पार्टियों को विरोध करना पड़ा..... इस विरोध के कारण संसद की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा। सभी राजनीतिक दलों को महिला आरक्षण बिल को लेकर अपने-अपने तर्क है.....कोई इसके समर्थन की बात कर रहा है....तो कोई इस बिल को अपनी पिछली सरकार की देन बता रहा है......तो कोई खुले तौर पर बिरोध कर रहा है....... और इस विरोध के पीछे अपनी दलील दे रहा है।


राज्य सभा में 2 बजे इस बिल को संसद के पटल पर केंद्रीय कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली रखने की कोशिश की तो सपा और आरजेडी के सदस्य ने जिस तरह के कारनामें को अंजाम दिया वो कहीं भी सही नहीं ठहराया जा सकता...... राज्य सभा के सभापति हामिद अंसारी के आसन तक पहुच कर बिल को फाड़ा गया और उन्हें बोलने से रोकने के लिए अनके माइक को तोड़ने की कोशिश की गयी। इस मंजर को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि ये मुद्दा विरोध तक सीमित नहीं रह गया बल्कि गुण्डागर्दी तक जा पहुची है..... सपा के सांसद ने बिल को फाड़ा तो आरजेडी के सांसद ने माइक तोड़ डाली...... क्या ये हमारे जन प्रतिनिधि को शोभा देता है.....क्या हमारे सांसदो का ये व्यवहार संसद की गरिमा के अनुरुप सही ठहराया जा सकता है..... कहीं ना कहीं ये सब संसद की गरिमा पर एक करारा तमाचा है जो संसद को बदनाम कर चुका है। राज्य सभा में इस मंजर के बाद मार्शल को तैनात करना पड़ा....यानि संसद जंग का मैदान बन चुकी है।

आखिर सपा, आरजेडी, बसपा और जेडीयू इस बिल के मौजूदा बिल का समर्थन नहीं करना चाहती है तो सरकार को इनसे बातचीत कर कोई रास्ता क्यों नहीं निकाल रही है..... सपा, आरजेडी, बसपा और जेडीयू इस आरक्षण बिल में दलित, अल्पसंखयक और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए इस बिल में अलग से आरक्षण की मांग कर रहे है......इनका मानना है कि मौजूदा आरक्षण बिल के स्वरुप से पिछड़े वर्गों की महिलाओं को फायदा नहीं होने वाला है। यानि आरक्षण में आरक्षण की मांग की जा रही है.......जहां तक देखा जाय तो इनकी दलील को गलत नहीं ठहराया जा सकता।

जिस तरह से इस महिला आरक्षण बिल को लेकर संसद और संसद से बाहर महाभारत मचा हुआ है और जिस तरह से शब्दवाणों का दौर चल रहा है.....और राजनीतिक पार्टियां इस बिल पर अपना क्रेडिट लेने की फिराक में लग चुकी....जबकि इस बिल को सदन की पटल पर रखने पर इतनी मारामारी मच चुकी है....बिल के पास होने पर राजनीति पार्टियां भुनाने को पूरी कोशिश करेगी। एक बात तो सब दलों में कॉमन है कि महिलाओं को संसद में आरक्षण मिले लेकिन कुछ लोग इस आरक्षण में जाति और धर्म के आधार पर भी आरक्षण की मांग रहे है तो कुछ लोग इस का विरोध कर रहे है......लेकिन जिस तरह से इस बिल को ले कर खीचातानी मची है....अगर ये बिल किसी तरह से पास भी हो जाय तो ये महिलाओं के लिए कैसा सम्मान.....जिसे देने के लिए देश की गरिमा को दाव पर लगा दिया गया...... क्या हमारे देश की महिलायें इसी सम्मान की हकदार है......

1 टिप्पणी:

  1. आज जो संसद में हुआ वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा...


    विश्व की सभी महिलाओं को अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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