3/06/2010

बाबाओं की हसीन दुनियां.........

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संत परंम्परा के अनुसार संत कुछ लेते हैं लेकिन संत नित्यानदं ने उल्टा कुछ दिया है। ये शब्द हैं गुजरात राज्य के मुखिया नरेंद्र मोदी के जो उन्होने नित्यांनंद के बारे में कहे। ये वही बाबा नित्यानंद हैं जो आज कल पुलिस से बचने के लिए फरार हैं। एक प्रदेश का मुखिया उस संत की तारीफ में कसीदे पढ़ राह है जिसके आश्रम में अय्याशी और लड़कियों के साथ रंग रलियां मनाना बाबा का पसंदीदा खेल हो। गुजरात के मुखिया ने जिस ढंग से सीडी प्रकरण के बाबा की शान मे कसीदे पढे वो भले ही बाबा और मोदी के रिश्तों को उजागर करने के लिए काफी हों लेकिन उसका सबसे खतरनाक पहलू ये हैं कि राज्य के मुखिया की वकालत के बाद पुलिस और प्रशासन इस अय्याशी और अश्लील सीडी के आरोपों से घिरे बाबा की जांच के बजाए उसको सुरक्षा देने में लग गया होगा। बगलूरु के बाबा नित्यानंद के आश्रम में लड़कियां भी आती थी और उनके साथ न जाने क्या होता था। ये तमाम चर्चाएं गर्म थी। भक्ति और भगवान का सही पता बताने के नाम पर लोगों की आस्था से खिललवाड़ करने वाले बाबा के आश्रम पर कोई उंगली उठाने की इसलिए हिम्मत नहीं करता था कि बड़े बड़े नेता ही नहीं बल्कि पुलिस और प्रशासन के आला अफसर नित्यानंद के आश्रम में हाज़िरी लगाते थे। सूत्रों की माने तो नित्यानंद अपने काले साम्राज्य को बढाने के लिए कई अधिकारियों और नेताओं की मदद लेता था। और इसके लिए कई नेता और अफसर या तो उसकी मुठ्ठी में थे या फिर उसके नैक्सस में शामिल थे। इतना ही नहीं कई लोगों का ये भी कहना है कि बाबा ने कई लोगो की अश्लील सीडी तक बनाई हुई थी। बाबा के आश्रम में रंग रलियां मनाने वाले कई लोग अपनी सीडी सामने आने के डर से कभी कुछ बोल नहीं पाते थे। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में यहां के एक सेवक लैनिन का भी रोल अहम बताया जा रहा है। हांलाकि यही लेनिन बंटवारे और लालच के चक्कर मे संत के भी खिलाफ हो गया। और उसने बाबा की ही अश्लील सीडी उजागर कर दी। सीडी को देखने वालों के मुताबिक नित्यानंद कई लड़कियों और अभिनेत्रियों के साथ वो सब कुछ करते देख गये जो शायद एक संत के लिए शोभा नहीं देता। ऐसे में नरेंद्र मोदी की नित्यानंद से नज़दीकियों और उनके रोल की जांच होना बेहद ज़रूरी है ताकि ये बात साफ हो सके कि संत नित्यानंद ने देने के नाम पर मोदी का क्या क्या दिया। इसके अलावा पिछले कुछ दिनों में देश भर मे आस्था के नाम पर जो हुआ वो किसी भी तरह आस्था का परिणाम नहीं हो सकता। चाहे दिल्ली से पकड़े गये बाबा इच्छाधारी यानि राजीव रंजन द्विवेदी हों जो दिल्ली में हाई प्रोफाइल सैक्स रैकेट चला रहा था। दिल्ली पुलिस के हाथ लगे इस बाबा के मंदिर मे बाक़ायदा लड़कियों को रखने और उनके साथ रंग रलियां मनाने के लिए पूरी इंतिज़ाम था। लोगों का यहां तक कहना है कि आश्रम में बडे बड़े लोग आते थे। वावा राजीव रंजन के साथ पूर्व मंत्री डीपी यादव, दिल्ली के नेता विजय जौली और बीजेपी के पूर्व सांसद कीर्ति आज़ाद तक के सम्बंध बताए जा रहे हैं। इतना ही नहीं ददुआ जैसे खुंखार डकैत को हथियार सप्लाई करने वाला बाबा इंच्छाधारी देश की राजधानी में अय्याशी के दम पर अपना रैकेट चलाता रहा और पुलिस बेखबर थी..... उधर अपनी पत्नी के श्राद्ध मनाने वाले कृपालु महाराज इसलिए फरार हैं कि वहां साठ से ज़्यादा लोगो की उनके आश्रम में मौत हो गई है.........अब दिल्ली के सटे गाजियाबाद में एक बाबा अनुप कुमार पर आरोप है कि एक लड़की के प्यार में पागल हो चुका है। इस बाबा ने इस लड़की का अपहरण कर लिया है और वो इस लडकी से शादी करने के फिराक में है। आशाराम बापू की कथनी और करनी का फर्क तो सबके सामने हैं ही। ऐसे में अब जनता को खुद ही तय करना होगा कि वो आदमी में भगवान को तलासने के चक्कर में किसी को भी शैतान बना सकती है। भगवान तो भगवान होता है, अब इंसान में भगवान को ढूडना हमारी कहा की समझदारी है.....

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