2/17/2010

फिर राम नाम.........


Blogvani.com
बीजेपी ने राम और राम मंदिर की चिंता फिर से करनी शुरु कर दी है...... इसी मुद्दे के सहारे वो देश की राजनीति में केन्द्र की सत्ता तक पहुचनें में कामयाब हुये थे। लेकिन पिछले दो लोक सभा चुनाव में वो सत्ता से दूर होते नज़र आये तो पार्टी में सिरफुटवल शुरु हो गयी..... पार्टी में काफी फेरबदल हुए ......प्रधानमंत्री पद के दावेदार लाल कृण्ण आडवाणी को अपने इस दावे से हटना पड़ा.....तो राजनाथ सिंह को पार्टी प्रमुख के पद से छुट्टी लेनी पड़ी.... बीजेपी में यशवत सिंह को बाहर का रास्ता दिखाया गया...... कभी अटल विहारी बाजपेयी के समय एनडीए में सहयोगी दलों की बाढ़ हुआ करती थी.....लेकिन सत्ता से दूरी और बीजेपी में भटकाव की बज़ह से ये सहयोगी भी इन से किनारा कसते गये....... अब बीजेपी को सहयोगी दलों की तलाश करनी पड़ रही है...... यानि बीजेपी को अब एक मुद्दे की तलाश है..... जिसके बल पर वो अपने पूराने आधार की तलाश में लग चुकी है.......इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में राम के राग को फिर से अलापना शुरु कर दिया है...... ये वक्तवय दिया खुद पार्टी के नये अध्यक्ष नितिन गडकरी ने....... अब बीजेपी एक बार फिर अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का संकल्प लेते हुए मुसलमानों से इसका रास्ता साफ करने की अपील की.... नितिन गडकरी का मानना है कि राम मंदिर के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन हो चुका है...... और राम के नाम पर हजारों कारसेवकों ने अपनी जान दे दी है......लेकिन इस बार राम के नाम पर बीजेपी कोई आंदोलन नहीं करना चाहती है.... वो इस मामले में मुसलमानों से सहयोग की अपील कर रहा है..... और हिन्दुओं की भावनाओं को समझते हुए सहयोग की उम्मीद कर रही। बीजेपी अपनी हार, घटते जनाधार और पार्टी की आपसी कलह की बज़ह से राम मुद्दे के बल पर अपनी ताकत को बढ़ाने की कोशिश में लग चुकी है...... लेकिन सवाल ये उठता है कि सत्ता में रहते हुए बीजेपी को ये क्यों नहीं याद आया....... अब सत्ता से बाहर होने पर राम फिर याद आ रहे है.। आखिर बीजेपी राम के सहारे केन्द्र की सत्ता तक पहुची थी या फिर अटल का वो व्यक्तितव जिसका हर कोई कायल था.....या फिर बीजेपी में आससी टकराव की वज़ह से अपनी शाख बचाने को मज़बूर हो गयी है। हर पार्टी किसी ना किसी मुद्दे के सहारे राजनीति चमकाने की कोशिश करती है....... लेकिन बीजेपी पर राम मुद्दे का एक मार्क लग चुका था..... पिछले दिनों वो इस मुद्दे से हटकर सेकुलर बनने की कोशिश में लगी थी....लेकिन बीजेपी के सेहत के लिए यह टॉनिक फायदे की जगह नुकसान देने लगा.....तो बीजेपी ने अपनी सेहत गिरती देख अपनी पूरानी आजमाई टॉनिक को आजमाने की कोशिश शुरु कर दी..... लेकिन बीजेपी को तो ये देख लेना चाहिए की कहीं इस टॉनिक की एक्सपायरी डेट तो नहीं आ चुकी है.....या एक्सपायर ही हो चुकी है....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें