2/02/2010

आखिर ..... आमची मुम्बई......किसकी

आमची मुम्बई का मुद्दा कोई नई बात नहीं है..... लेकिन ये मुद्दा पूराना भी नहीं है। मुम्बई या महाराष्ट्र मराठियों की है ये मुद्दा शिवसेना के विभाजन के बाद से ही काफी गरम हो गया.... राज ठाकरे ने जिस तरह अपने परिवार से अलग होकर अपनी नयी पार्टी एमएनएस की नींव रखी.....तो इस पार्टी को एक मुद्दे की तलाश थी और इनके हाथों ये मुद्दा मिला कि मराठियों की बात कर के महाराष्ट्र की राजनीति में अपना कुछ जनाधार बनाया जा सकता है। राज ठाकरे इसी मुद्दे के बल पर पिछले विधान सभा में कुछ सीटों पर अपनी जीत का परचम भी लहराया था....... लेकिन इस जीत से ना तो वो खुद या शिवसेना को महाराष्ट्र की गद्दी तक पहुंचने दिया...... शायद अब वो इस मुद्दे के बल पर अपनी राजनीति की रोटी गरम करने की कोशिश करने में लगे है। इस मुद्दे को लेकर एमएनएस और शिवसेना पूरी कोशिश कर रहे है। बाल ठाकरे कभी आईपीएल में ऑस्ट्रेलियां क्रिकेटरों को धमका रहे है तो कभी पाक खिलाड़ियों को खुली चुनौती दी जा रही है। मराठी मुद्दे को लेकर शिवसेना और उसके सहयोगी बीजेपी में भी ठन चुकी है...... दोनों पार्टियों के नेता उत्तर भारतीयों के मुद्दे पर जमकर बवाल मचा चुके है। उत्तर भारतीयों की मुम्बई में रक्षा के लिए आरएसएस ने संकल्प उठाया तो वाल ठाकरे ने जमकर बरसना शुरु कर दिया........ और इस मुद्दे पर बीजेपी और शिवसेना में तलवारें खींचती नज़र आयी........आखिर बीजेपी ने अपना जनाधार महाराष्ट्र में कम होता देख उत्तर भारत में अपनी पकड़ को कम ना होने के लिए इस मुद्दे पर अब बोलना शुरु किया है......और इस में वो अपने सहयोगी आरएसएस के सहारे इस मामले को उठाने की कोशिश में लगे है......लेकिन बाजेपी को ये मुद्दा अब क्यों दिख रहा... जो कभी शिवसेना के एक विश्वसनीय सहयोगी रहे है। यानि बीजेपी ने इस मुद्दे को उछाल कर उत्तर भारतीयों की सहानभुति लेने का मन बना लिया है...... ये बात तो रही राजनितिक फायदे की लेकिन शाहरुख कान ने पाक क्रिकेटरों को भारत में खेल की इच्छा क्या जताई शिवसेना उनके पीछे पड़ चुकी है...... शाहरुख को शिवसेना की तरफ से लगातार धमकियां दी जा रही है......... और-तो-और शाहरुख की हाल में ही रीलिज़ होने वाली फिल्म ‘माई नेम इज खान’ के पोस्टर शिवसेना ने मुम्बई से हटवा दिये........ और शाहरुख से अपने दियो बयान पर मांफी मांगने को कहा जा रहा है.......आखिर ठाकरे परिवार और तालिबानीयों में फर्क ही क्या है। बॉलीवुड भी शाहरुख के मामले में उनकी तरफ खड़ नहीं दिख रहा है........आखिर यह शिवसेना की दहशत है या बॉलीवुड का अपना निजी मामला....... लेकिन मामला जो भी हो शिवसेना की इन धमकियों जायज नहीं ठहराया जा सकता है। शिवसेना खुलेयाम मुम्बई में उत्तर भारतीयों को अपना निशाना बनाती रही है....... लेकिन ना तो केन्द्र सरकार ना तो महाराष्ट्र की सरकार ने इन पर नकेल लगाने की कोशिश नहीं की और तो और अशोक चव्हाण सरकार ने तो पीछले दिनों आग में घी लालने का काम कर रहो है......वो लोगों को मराठी सीखने की वकालत करते नज़र आये.... लेकिन वो इस मामले पर दबाव के कारण यू-टर्न तो ले लिया ...... लेकिन इस मामले को राज ठाकरे ने आगे बढाते हुए मुम्बई में फ़रमान जारी कर दिया की चालीस दिनों में मराठी सीखने का हुक़म दे डाला। अब बाल ठाकरे और राहुल गांधी में भी इस मामले पर बयानबाजी शुरु हो चुकी है....... राहुल को तो अब इटली वाली मॉ का बच्चा करारा दिया जा रहा है। शिवसेना और राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में अपना तालिबानी कानून थोपने की कोशिश कर रहा है......... लेकिन इस मुद्दे पर ना तो सरकार ना तो आम लोग भी खुले तौर पर इसके विरोध के लिए सामने नहीं आ रहे है। हमारी सरकार ऑस्ट्रेलियां में भारतीयों पर हो रहे हमले के लिए काफी रोष वयक्त कर चुकी है...... सरकार ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हो रहे हमले को रोकने की पूरी कोशिश कर रही है......... लेकिन देश में ही एक प्रदेश में काफी दिनों से यही हो रहा है और केन्द्र सरकार कोई कदम नहीं उठाना नहीं चाहती है....... जब देश का आम नागरिक अपने देश में ही सुरक्षित नहीं है ना ही देश में खुलकर बोलने के लिए आज़ाद है...... तो ऐसे में दूसरे देशों में अपने लोगों की सुरक्षा की मांग करना बेइमानी है......

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