2/10/2010

.....अब चाचा VS भतीजा

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मुम्बई पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है.....मुद्दा ये है कि आखिर असली देश भक्त कौन है...... इस मुद्दे को लेकर शाहरुख खान को शिवसेना देशद्रोही बताने की कोशिश कर रही है। शिवसेना ने अपने आप को देशभक्त बताकर शाहरुख के बयानों का बहाना बनाकर राजनीति की रोटी गरम करने की कोशिश कर रही है... इसी कड़ी में जो लोग शाहरुख का समर्थन में आये उनकों भी बाल ठाकरे की तरफ से बिरोध का सामना करना पड़ा। इस मुद्दे को लेकर मुम्बई में शाहरुख खान और शिवसेना की जंग मच चुकी है..... कभी माई नेम इज खान के पोस्टर फाड़े जा रहे है.... कभी इस फिल्म के एडवान्स बुकिंग के समय पथराव हो रहे है.....साथ ही साथ बाल ठाकरे की तरफ से शाहरुख को खुलेआम धमकियां दी जा रही है..... इसे देख कर तो यहीं लगता है कि मुम्बई में बाल ठाकरे की दादागिरी अपने उफान पर है.....सिनेमा घर के मालिक तो इस फिल्म को तो दिखाना चाह रहे है लेकिन उन्हें अपनी सुरक्षा का खतरा नज़र आ रहा है...... महाराष्ट्र सरकार इस फिल्म की पूरी सुरक्षा की बात तो कह रही है..... लेकिन सिनेमा हॉल के मालिक किसी भी खतरे को मोल लेना नहीं चाहते..... इसी कड़ी में कुछ सिनेमा हॉल के मालिकों ने अपने यहां इस फिल्म को चलाने से मना कर चुके है। यानि मुम्बई में अशोक चव्हाण का राज नहीं बाल ठाकरे की चल रही है...... लेकिन इस मुद्दे में एक कड़ी और जुड़ चुकी है....... अब ये जंग बाल ठाकरे बनाम शाहरुख ना रह कर बाल ठाकरे बनाम राज ठाकरे में बदल चुकी है...... यानि ये जंग चाचा और भतीजे के बीच जा पहुची है..... राज ठाकरे अब शाहरुख के समर्थन करते नज़र आ रहे है.... राज ने साफ कहा कि शिवसेना दोहरा मापदंड अपना रही है.....वो शाहरुख का तो विरोध कर रही है लेकिन सदी के महानायक अमिताभ का क्यों नहीं..... जो अमन की आस कार्यक्रम में पाक कलाकारों के साथ नज़र आये...... और तो और अमिताभ की फिल्म रण को अपने घर में बैठक उन्ही के साथ देख रहे है। यानि अब इस मामले को राजनितिक फायदे का इस्तेमाल किया जा रहा है..... राज को लग रहा है कि उनका मराठी वोट बैंक कही कम ना हो जाय इस लिये वो अमिताभ को अपना निशाना बनाया साथ ही साथ शिव सेना पर दोहरी राजनित का आरोप भी मढ़ दिया। यानि इस जंग में एक नया मोड़ ये है कि चाचा और भतीजे की राजनित शुरु हो चुकी है.... राज ने शाहरुख की फिल्म का विरोध ना करने का फैसला किया है..... अब ये देश भक्ति का मुद्दा...जो शिवसेना कह रही थी..... राजनिति का मुद्दा बन चुकी है..... और इसको भुनाने की दौर भी शुरु हो चुकी है..... देखना ये होगा कि कौन कितना फायदा उठाता है...... यानि अब यह एक पारिवारिक मुद्दा बन गया है.....चलों ये तो ठीक है कि देश भक्ति की बात करने वाले ये लोग यदि आपस में उलझे रहे तो....... देश का कुछ तो भला जरुर होगा......

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